ADD

Saturday, 8 June 2013

A Poem On World Environment Day

पर्यावरण बचाओअभियान


रहम कर कुछ तो ए इनसान।
रखते हैं दरख्त भी जिस्म में जान।।

न इनसे कर खिलवाड़ तू,
न जीवन इनका उजाड़ तू।
काटकर इन्हें मत बन महान।
रहम कर कुछ तो ए इनसान।
रखते हैं दरख्त भी जिस्म में जान।।

खुद जलकर ये तेरे काम है आते,
लाख हज़ार कष्ट है सहजाते।
न इनका मिटा नामोनिशान।
रहम कर कुछ तो ए इनसान।
रखते हैं दरख्त भी जिस्म में जान।।

अगर इनका रखोगे ख्याल,
ताज़ा हवा, छाँ से करेंगे मालामाल।
ये दरख्त है प्रकृतिकी शान।
रहम कर कुछ तो ए इनसान।
रखते हैं दरख्त भी जिस्म में जान।।

पर्यावरण स्वच्छ रखना है तो वृक्ष उगा,
है ये भी सजीव रूह इनकी न जला।
न कर तू वृक्ष कटावऔर
छेड़ दो ‘पर्यावरणबचाओ अभियान’।
रहम कर कुछ तो ए इनसान।

रखते हैं दरख्त भी जिस्म में जान।।

0 comments:

Post a Comment