ADD

Saturday, 8 June 2013

चुनावों के हैं अब तो परिणाम आने वाले

चुनावों के हैं अब तो  परिणाम आने वाले 


चुनावों के हैं अब तो  परिणाम आने वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले

अब है नींद किसे न  करार अब तो
सपनों में भी हो रहा  प्रचार अब तो
चुराए  जिन्होंने गरीब जनता के खाब
आज बन गए दिलों  को चुराने वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले


राजगद्दी पर बैठने का है खाब हर निगाह में
खेल है नोटों का खेल रहे  है पैसों की चाह में
जिन्हें खबर तक नहीं जनता के ज़ख्मों की
आज बन गए ज़ख्मों पर मरहम लगाने वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले


लगा रहे चक्कर पर  चक्कर खुदा के दरबार में
वक़्त जिनका अक्सर गुज़रता है जाम के बार में
खुद ही के लिए वक़्त नहीं जिनके पास
चंद लम्हों में बन गए खुदा को चाहने वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले


परिणामों की फ़िक्र हर  पल सबको  सता रही
एक चिंगारी ही दिल-ए -बाग़ को जला रही
इश्क़ किया उम्र गई  पर निभा न पाए
और बन गए है दिल को धड़काने  वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले


चुनावों के हैं अब तो  परिणाम आने वाले
देश के लूटेरे बन गए जान लूटाने   वाले

0 comments:

Post a Comment