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Saturday, 15 June 2013

कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते


कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते


खा जाते कुछ इनसान जान इनसान की, 
है कुछ इनसान आए लेकर रूह शैतान की, 
इनसान के रूप में छिपा है दैत्य, 
कर जाते हैं हरकतें हैवान की।
कई जल्लाद मानव के गोश्त की है आस करते।
कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते।।

क्या है माँ बहन नहीं है परवाह इन्हें, 
रिश्ते- नाते की नहीं है चाह इन्हें, 
कर बैठे हैं उसी माटी को बदनाम, 
बचपन से मिली है जहाँ पनाह इन्हें। 
बस चले इनका तो एक लाश से भी
बलातकार का है प्रयास करते।
कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते।।

इनके गुनाह सुनकर बिन आग के ज़हन जल जाए, 
ठंडी रातों में बर्फ पिघल जाए, 
हे यम! देना इन्हें सज़ा इस कदर, 
कि भारत माँ की गोद से बोझ उतर जाए। 
हँसते लोगों का मन पल भर में है उदास करते।
कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते।।

बिच्छू साँप से भी ज्यादा दे जाते डंक है ये,
पाक से भी ज्यादा फैला रहे आतंक है ये, 
जिस भूमि पर फले-फूले उम्र भर, 
उसी भारतभूमि पर एक कलंक है ये।
पल पल उल्टे कारनामों का है अभ्यास करते।
कुछ ऐसे लोग भी मेरे भारत में है वास करते।।

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